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1 मार्गदर्शन का इस्तेमाल कठिनाइयों से उबरने के लिए किया जाता है जबकि परामर्श से मनोवैज्ञानिक समस्याओं से निपटने में मदद मिलती है।
2 मार्गदर्शन व्यापक बहिर्मुखी तथा प्रकृति में निवारक होता है जबकि परामर्श अंतर्मुखी और प्रकृति में उपचारात्मक होता है।
3 मार्गदर्शन के जरिए व्यक्ति को सभी विकल्पों में से सबसे अच्छा विकल्प चुनने में मदद की जाती है। वही परामर्श से व्यक्ति का परिपेक्ष्य बदलकर उसे स्वयं समस्या का समाधान निकालने की राह दिखाई जाती है।
4 ज्यादातर मार्गदर्शन शिक्षा, करियर तथा नौकरी से संबंधित मुद्दों पर किया जाता है। लेकिन परामर्श व्यक्तिगत, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों पर किया जाता है।
5 मार्गदर्शन करने वाला व्यक्ति किसी क्षेत्र विशेष का विशेषज्ञ हो सकता है लेकिन परामर्श देने वाला व्यक्ति कौशल, प्रशिक्षण तथा ट्रेनिंग हासिल करता है।
6 मार्गदर्शन एक बार में एक अथवा बड़ी जनसंख्या को दिया जा सकता है लेकिन परामर्श हमेशा व्यक्तिगत तौर पर दी जाती है।
7 मार्गदर्शन की प्रक्रिया जीवन भर चलती रहती है लेकिन परामर्श की प्रक्रिया एक समय बाद रुक जाती है, क्योंकि परामर्श हासिल करने वाले व्यक्ति किसी समस्या से ग्रसित होते हैं जब वह उस समस्या से निजात पा जाते हैं तो परामर्श लेना छोड़ देते हैं।
8 मार्गदर्शन लोगों को अपनी क्षमता, रुचि, योग्यता के अनुसार निर्णय लेने में मदद करता है जिससे व्यक्ति खुद का और समाज का विकास कर सके। वही परामर्श में व्यक्ति की समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाता है जिससे वे तनाव मुक्त होकर नया जीवन जी सके।
9 मार्गदर्शन वैसे तो सभी को दी जा सकती है लेकिन यह मुख्यत: छात्रों, पेशेवरों को दी जाती है वही परामर्श सिर्फ समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति को दी जाती है।
10 मार्गदर्शन में ज्यादा समय, शक्ति और पैसा नहीं लगता। जबकि परामर्श में मार्गदर्शन के मुकाबले ज्यादा पैसा और ज्यादा समय लगता है।
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